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मानव बस्ती:- विभिन्न आकार और प्रकारों
के घरों का समूह होता है जिसमें मनुष्य रहते हैं मानव बस्ती कहलाती है।
1. ग्रामीण बस्तियां
2. नगरीय बस्तियां
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ग्रामीण बस्तियां |
नगरीय बस्तियां |
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v विरल रूप से अवस्थित
छोटी बस्तियां जो कृषि अथवा अन्य प्राथमिक क्रियाकलापों में विशिष्टता रखती है ग्रामीण
बस्तियां कहलाती है। |
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द्वितीयक और
तृतीयक क्रियाकलापों में विशेषीकृत बड़े
अधिवासो को नगरीय बस्तियां कहा जाता है। |
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v ग्रामीण बस्तियां नगरीय
बस्तियों को कच्चा माल और खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराती है। |
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नगरीय बस्तियां अपने निवासियों के साथ-साथ पश्च भूमि की ग्रामीण
बस्तियों को भी अनेक वस्तुएं व सेवाएं उपलब्ध कराते हैं। |
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v ग्रामीण लोग कम गतिशील
होते हैं जिस कारण उनके सामाजिक संबंधों में घनिष्ठता पाई जाती है। |
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नगरीय बस्तियों में जीवन बड़ा ही जटिल और तीव्र होता है
जिस कारण सामाजिक संबंध मात्र औपचारिक होते हैं। |
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v ग्रामीण बस्तियों में
विस्तृत क्षेत्र की उपस्थिति के कारण स्वास्थ्यकर जलवायु पाई जाती है। |
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नगरीय बस्तियों में गंदगी व प्रदूषण के कारण स्वास्थ्यकर
जलवायु का अभाव होता है। |
ग्रामीण बस्तियों को प्रभावित करने वाले कारक:-
2. सांस्कृतिक और मानव जातीय कारक: -सामाजिक संरचना, धर्म और जाति।
3. सुरक्षा संबंधी कारक:-चोरियो और डकैतियों से सुरक्षा आदि।
ग्रामीण बस्तियों के प्रकार:-
· 1. गुच्छित बस्तियां
2.
अर्द्ध-गुच्छित बस्तियां
3.
पल्लीकृत बस्तियां
4.
परीक्षिप्त बस्तियां
1.गुच्छित बस्तियां :-
(i)
गुच्छित बस्तियां घरों का एक संकुलित रूप होती है इस प्रकार के गांव में रहन-सहन के क्षेत्र स्पष्ट और
चारों ओर फैले खेत- खलियानों और चरागाहों से पृथक होते हैं।
(ii)
गुच्छित बस्तियां आयताकार ,आरिय, रेखीय इत्यादि ज्यामितीय प्रतिरूपों में मिलती है।
(iii) गुच्छित बस्तियां उपजाऊ
जालोद मैदानो और उत्तरी -पूर्वी राज्यों में पाई जाती है।
(iv)
रेगिस्तानी क्षेत्र में जल संसाधनों के निकट तथा नागालैंड और बुंदेलखंड (मध्य प्रदेश) में सुरक्षा व प्रतिरक्षा जैसे कारण भी इस प्रकार की बस्तियां बनती है।
2.अर्द्ध -गुच्छित
बस्तियां:-
(i)
इन बस्तियों का निर्माण परीक्षिप्त बस्तियों के किसी सीमित क्षेत्र में सीमित होने और किसी बड़े संहत गांव
के विखंडन के कारण निर्माण होता है।
(ii)
ये बस्तियां मुख्यतः गुजरात के मैदान और राजस्थान के कुछ
भागों में पाई जाती है।
(iii)
इन बस्तियों में प्राय: प्रमुख समुदाय तथा जमीदार गांव के
केंद्रीय भाग में रहते हैं जबकि निम्न वर्ग के लोग गांव के बाहरी भाग में रहते
हैं।
3.पल्लीकृत बस्तियां:-
(i)
जब किसी विशाल गांव का सामाजिक एवं मानव जातीय आधार पर
विखंडन होता है तो वह कई इकाइयों में बढ़ जाती है इस प्रकार की बस्तियों को
पल्लीकृत बस्तियां कहा जाता है।
(ii)
पल्लीकृत बस्तियों को पान्ना ,पाली, नगला, ढाणी इत्यादि स्थानीय नाम
से भी जाना जाता है।
(iii)
पल्लीकृत बस्तियां मध्य और निम्न गंगा के मैदान ,छत्तीसगढ़ और हिमाचल की निकली घाटियों में पाई जाती है।
4.परीक्षित बस्तियां:-
(i)
यह बस्तियां एकांकी बस्तियां होती है जो सुदूर जंगलों में
छोटी पहाड़ियों के ढालों पर खेत अथवा चारागाहों के रूप में होती है ।
(ii)
यह मुख्यतः मेघालय ,उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केरल के कई भागों में पाई जाती है।
नगरीय बस्तियो के प्रकार:-
नगरों के विकास के आधार पर भारतीय नगरों को
निम्न प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है-
(i) प्राचीन नगर:-
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भारत में 2000 ई. से अधिक वर्षों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाले नगर
प्राचीन नगर की श्रेणी में आते हैं इनका विकास धार्मिक और सांस्कृतिक केद्रो के
रूप में हुआ है।
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वाराणसी भारत का सबसे प्राचीन नगर है।
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प्रयाग इलाहाबाद, पाटलिपुत्र पटना, मदुरई प्राचीन नगरों के उदाहरण है।
(ii) मध्यकालीन नगर:-
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इन नगरों का विकास मध्यकाल में राजवाडो और राज्यों के मुख्यालय के रूप में हुआ है ।
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इन्हें किला नगर भी कहा जाता है क्योंकि इनका निर्माण प्राचीन नगरों के खण्डहरो पर हुआ है।
(iii) आधुनिक नगर:-
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अंग्रेजों और यूरोपियनों द्वारा या स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात नगरों का विकास हुआ ।
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जैसे सूरत ,दमन ,गोवा, पांडिचेरी, मुंबई ,कोलकाता, चेन्नई, चंडीगढ़, भुवनेश्वर, गांधीनगर, दिसपुर ,दुर्गापुर, भिलाई सिंदरी आदि।
नगरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण :-
नगरों को उनके विशेषिकृत
प्रकार्यों के आधार पर निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाता है-
(i) प्रशासनिक नगर:-
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इन नगरों का मुख्य कार्य जन कल्याण व प्रशासन से संबंधित
होता है।देश की तथा राज्यों की राजधानियों के साथ जिला मुख्यालयों को इस वर्ग में सम्मिलित किया गया है।
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जैसे चंडीगढ़ ,नई दिल्ली, जयपुर भोपाल, गुवाहाटी आदि
(ii) औद्योगिक नगर:-
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इन नगरों की स्थापना का मुख्य आधार उद्योग होता है ।
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जैसे मुंबई ,जमशेदपुर ,हुगली, भिलाई आदि
(iii) परिवहन नगर:-
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यह नगर मुख्यतः आयात और निर्यात की गतिविधियों के प्रमुख केंद्र होते हैं ।
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कांडला, कोच्चि ,विशाखापट्टनम, आगरा ,धूलिया, मुगलसराय कटनी, आदि परिवहन नगर हैं ।
(iv)
वाणिज्यिक नगर :-
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व्यापार और वाणिज्य के आधार पर विकसित नगरों को वाणिज्यिक नगर कहा जाता है ।
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जैसे कोलकाता, सतना, सहारनपुर ,आदि
(v) खनन नगर:-
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खनिज समृद्ध क्षेत्र में विकसित नगर खनन नगर कहलाते हैं।
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जैसे रानीगंज ,झरिया, डिगबोई , बोकारो, खेतड़ी ,सिंगरौली
(vi) गैरिसन(छावनी ) नगर:-
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इन नगरों का विकास सैनिक छावनियों के रूप में हुआ है।
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जैसे महू, उधमपुर ,अंबाला, जालंधर,
आदि
(vii) धार्मिक और सांस्कृतिक नगर :-
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ये धार्मिक और सांस्कृतिक आधार पर विकसित होते है ।
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जैसे मथुरा, वाराणसी ,अजमेर, पुष्कर, मदुरई, तिरुपति, हरिद्वार उज्जैन आदि ।
(viii) शैक्षिक नगर:-
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इन नगरों का विकास शैक्षिक क्रियाकलापों के आधार पर हुआ है।
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जैसे रुड़की ,अलीगढ़, पिलानी आदि ।
(ix) पर्यटन नगर:-
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इन नगरों का विकास पर्यटन के आधार पर हुआ है ।
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जैसे नैनीताल ,मंसूरी ,शिमला, पंचमंडी, जोधपुर, माउंट आबू आदि।
स्मार्ट सिटी मिशन
स्मार्ट सिटी मिशन का उद्देश्य:-
Ø स्मार्ट सिटी मिशन का उद्देश्य शहरों को आधारभूत सुविधाओं और सेवाओं के साथ-साथ सतत पर्यावरण और अपने नागरिकों को बेहतर जीवन प्रदान करने के लिए स्मार्ट
समाधानों को लागू करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
