अध्याय -2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास(कक्षा -11)

                     



  • पृथ्वी की उत्पत्ति के संबंध में आरंभिक सिद्धांत :-

  1.एक तारा सिद्धांत (Mono Star theory): -

                (i) गैसीय सिद्धांत:-

                                            इसे कांट महोदय ने दिया |

                                            इसके अनुसार सूर्य के घूर्णन गति के कारण सूर्य के बाहरी परत अलग हो गयी  तथा ठंडी होकर ग्रहो  का निर्माण कर दिया |

इस सिद्धांत को अस्वीकार कर दिया गया                                     

               (ii) निहारिका (Nebula) परिकल्पना:- 

Ø   इसे लाप्लेस ने दिया |

                                          इस परिकल्पना के अनुसार ग्रहों का निर्माण धीमी गति से घूमते हुए पदार्थ के बादल से हुआ जो कि सूर्य की युवावस्था से संबंध थे| सूर्य की बाहरी परत  ठंडी हो गई किंतु आंतरिक परत गर्म बनी रही|जिस कारण इसका बहरी  भाग टूटकर अलग हो गया और इसी अलग हुए भाग से ग्रहों का निर्माण हुआ|
उक्त दोनों सिद्धांतों को नकार  दिया गया क्योंकि ग्रहों की संरचना सूर्य की संरचना से भिन्न पाई गई है


  2. द्वै-तारक सिद्धांत (Dual Star theory) :- 



                                          इस सिद्धांत के अनुसार सौरमंडल का निर्माण दो तारों से हुआ है इस सिद्धांत को  चैंबर र्लिन तथा जींस ने दिया है
                                         इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड में एक अन्य भ्रमणशील तारा सूर्य के नजदीक से गुजरा |इसके परिणाम स्वरुप तारे के गुरूत्वाकर्षण से सूर्य की सतह  से सीगार के आकार का कुछ पदार्थ बाहर निकाल कर अलग हो गया| यह तारा जब सूर्य से दूर चला गया तो सूर्य सतह से बाहर निकला हुआ यह पदार्थ सूर्य के चारों तरफ घूमने लगा और यही धीरे-धीरे   संघनित होकर ग्रहो  के रूप में परिवर्तित हो गया|


 3. डबल स्टार थ्योरी (Double Star Theory): -

                                       इस सिद्धांत के अनुसार सौरमंडल का निर्माण सूर्य के अतिरिक्त दो तारों से हुआ है| इस सिद्धांत को लिल्टन  ने दिया| इसके अनुसार सूर्य के अतिरिक्त दो तारे थे जिसमें एक तारे में विस्फोट हो गया और सूर्य के गुरूत्वाकर्षण से ये सूर्य के समीप आ गए और इससे ग्रहो का निर्माण हुआ जबकि दूसरा तारा ब्लैक होल में विलीन हो गया|

                           इस सिद्धांत को मान्यता प्राप्त है वर्तमान में ग्रह का स्वरूप उसे विस्फोट तारा के समान है|

  • ब्रह्मांड की उत्पत्ति के संबंध में आधुनिक सिद्धांत-


बिग बैंग  सिद्धांत (Big Bang Theory) :-



Ø   आज के समय में ब्रह्मांड की उत्पत्ति के संबंध में सर्वमान्य सिद्धांत बिग बैंक (big bang theory )सिद्धांत है इसे विस्तरित ब्रह्मांड परिकल्पना (Expanding universe hypothesis) भी कहा जाता है|

Ø     बेल्जियम के पादरी जॉर्ज लैमेतरे   ने  महा विस्फोट  अथवा बिग बैंग सिद्धांत दिया|
                            

Ø   इसके अनुसार लगभग 13.7 अरब वर्ष पहले  अति छोटे गोलक जिसका आयतन अत्यधिक सूक्ष्म एवं तापमान तथा घनत्व अनंत था में भीषण विस्फोट हुआ|  इसी विस्फोट के बाद से स्पेस(space) का निर्माण हुआ तथा समय की गणना प्रारंभ हुयी|
                           

Ø    विस्फोट के बाद एक सेकंड के अल्पांस  के अंतर्गत ही वृहत  विस्तार हुआ|
बिग बैंक की घटना के आरंभिक 3 मिनट के अंतर्गत ही पहले परमाणु का निर्माण हुआ|

Ø  बिग बैंग से 3 लाख वर्षों के दौरान तापमान 4500 केल्विन तक गिर गया और परमाणवीय  पदार्थ का निर्माण हुआ तथा ब्रह्मांड पारदर्शी हो गया|

ब्रह्मांड विस्तार सिद्धांत :- 

                                  सन 1920 ईस्वी में एडविन हम्बल ने बताया कि ब्रह्मांड विस्तारित हो रहा है| समय बीतने के साथ-साथ आकाशगंगाए एक दूसरे से दूर हो रही है|

विद्वानों का मानना है कि ब्रह्मांड को विस्तारित हेतु कोई शक्ति है जो इसे खींच रही है तथा  जब यह शक्ति समाप्त होगी तो ब्रह्मांड पुन : सिकुड़ना चालू हो जाएगा और सिकुड़कर पुणे अपनी आरंभिक   अवस्था में चला जाएगा तब इसे सुपर क्रंच( Super Cranch )   कहा जाएगा

स्थिर अवस्था संकल्पना: -     यह परिकल्पना  होयल ने प्रस्तुत की |
                

 उक्त दोनों परिकल्पनाओं में  ब्रह्मांड विस्तार सिद्धांत सर्वाधिक मान्य है

                                        

 तारों का निर्माण

तारा  :-  












Øऐसा आकाशीय पिंड  जिसके पास स्वयं की ऊष्मा  तथा प्रकाश हो तारा कहलाता है|

Ø  तारों का निर्माण लगभग 5 से 6 अरब वर्ष पहले हुआ था|
                                  

Ø       तारा बनने से पहले विरल गैस का गोल होता है जब विरल गैस संकेंद्रित होकर पास आ जाते हैं तो घने बादल के समान छा जाते हैं जिन्हें निहारिका (Nebula) कहते हैं| जब इन निहारिकाओं के संलयन विधि द्वारा दहन  की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है तो वह तारों का रूप ले लेता है |
तारे में हाइड्रोजन का संलयन में  हीलियम में होता रहता है |

Ø  तारे में ईंधन प्लाज्मा अवस्था में रहता है|

Ø  तारों का भविष्य उसके द्रव्यमान पर निर्भर करता है|

आकाशगंगा :-


                    ब्रह्मांड में असख्यं तारो के समूह को आकाशगंगा (Galaxy) कहते हैं |

Ø  एक आकाशगंगा का विकास 80000 से 150000 प्रकाश वर्ष के बीच होता है|
आकाशगंगा का आकार शर्पिलाकर  होता है|

Ø  ब्रह्मांड में लगभग 100 अरब आकाशगंगाए हैं प्रत्येक आकाशगंगा में लगभग 100 अरब तारे हैं |

Ø  सूर्य भी एक तारा है हमारा सूर्य है जिस आकाशगंगा में है  उसे आकाशगंगा को मंदाकिनी  कहते हैं |  इसे दुग्ध मेखला(Milky way)भी कहते हैं

Ø  देवयानी (Adromeda) यह हमसे सबसे करीबी आकाशगंगा है|       

Ø  प्रकाश वर्ष :-

                                                  1 वर्ष में प्रकाश जितनी दूरी तय करेगा वह एक प्रकाश वर्ष होगा| प्रकाश की गति 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड होती है|

सौरमंडल:-



Ø    सूर्य तथा इसके आसपास के ग्रह,उपग्रह तथा शुद्र ग्रह, धूमकेतू, उल्का  पिंडो , संयुक्त समूह को सौरमंडल कहते हैं|

Ø   निहारिका को सौरमंडल का जनक माना जाता है|

Ø  सूर्य 5 से 6 अरब वर्ष पहले तथा ग्रहो लगभग 4.6 से 4.56 अरब वर्ष पहले बने थे|

चंद्रमा की उत्पत्ति:-



                  







चंद्रमा की उत्पत्ति 4.44 अरब वर्ष पहले हुई थी |ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी के बनने के कुछ समय बाद ही मंगल ग्रह से 1 से 3 गुना बड़े आकार का पिंड पृथ्वी से टकराया |इस टकराव से पृथ्वी का एक हिस्सा टूटकर अंतरिक्ष में बिखर गया| टकराव से अलग हुआ यह पदार्थ फिर पृथ्वी के कक्ष में घूमने लगा और आज का चंद्रमा बना|

                               इस बड़े टकराव “द बिग स्प्लिट” (The big split) कहा जाता है

स्थलमंडल का विकास :-

                              पृथ्वी प्रारंभ में चट्टानी , गर्म और वीरान ग्रह थी जिसका वायुमंडल विरल था जो हाइड्रोजन व् हीलियम से बना था|
पृथ्वी पर अनेक ऐसी घटनाएं घटित हुई जिससे आज पृथ्वी एक सुंदर ग्रह में परिवर्तित हो गई है
                              विभेदन के चरण:-
                              (i) प्रथम चरण:-

                                                    पृथ्वी की रचना के दौरान जब पदार्थ गुरुत्व बल के कारण इकट्ठे हो रहे थे| इस समय अत्यधिक ऊष्मा उत्पन्न हुई और उत्पन्न ताप से पदार्थ पिंघलने लगे|  जिससे पृथ्वी आंशिक रूप से द्रव अवस्था में रह गई और तापमान की अधिकता के कारण हल्के  और भारी घनत्व के मिश्रण वाले पदार्थ घनत्व के अंतर के कारण अलग होना शुरू हो गए | भारी पदार्थ जैसे लोहा पृथ्वी के केंद्र में चले गए और हल्के पदार्थ पृथ्वी की सतह की तरफ आ गए  और पृथ्वी की भूपर्पटी के रूप में विकसित हो गए|
हल्के व्  भारी घनत्व वाले पदार्थों के पृथक होने की इस प्रक्रिया को विभेदन कहा जाता है|यह विभेदन का प्रथम चरण था
                               (ii)द्वितीय चरण :-

                                                      चंद्रमा की उत्पत्ति के दौरान एक बड़े टकराव के कारण पृथ्वी का तापमान पुन: बढ़ा और विभेदन का यह दूसरा चरण था |

पृथ्वी के धरातल से क्रोड तक पदार्थो का घनत्व बढता गया तथा  भू-पर्पटी (Crust), प्रवार  (Mantle) बाहय क्रोड  (Outer Core) ,  आंतरिक क्रोड (Inner Core) का निर्माण हुआ | (toc)

यहाँ Board Exam और Competitive Exam के लिए "पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास" (Origin and Evolution of Earth) विषय पर महत्वपूर्ण MCQs दिए जा रहे हैं। ये आसानी से याद की जा सकते हैं और परीक्षा की दृष्टि से बहुत उपयोगी हैं। यह नोट्स Class 11 और Class 12 NCERT Geography के छात्रों के लिए विशेष रूप से लाभदायक हैं।👇👇👇👇👇👇

पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास(परीक्षोपयोगी महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्न)👇👇👇

1. निम्नलिखित में से कौन-सा विकल्प पृथ्वी की आयु को सबसे अधिक सही रूप से दर्शाता है?

a) 4.6 मिलियन वर्ष

b) 13.7 अरब वर्ष

c) 4.6 अरब वर्ष

d) 13.7 ट्रिलियन वर्ष

उत्तर: (c) 4.6 अरब वर्ष 

2.निम्नलिखित में से कौन-सा तत्व वर्तमान वायुमंडल की संरचना या परिवर्तन में योगदान नहीं देता?

a) सौर हवाएँ (Solar winds)

b) विभेदन (Differentiation)

c) गैसों का निकलना (Degassing)

d) प्रकाशसंश्लेषण (Photosynthesis)

उत्तर: (b) विभेदन 

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