जनसंख्या:- किसी क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों की संख्या |
Ø भारत की जनसंख्या ( 2011 की जनगणना के अनुसार )121 करोड़ है जो विश्व
में चीन के बाद के बाद सर्वाधिक जनसंख्या है | <toc>
जनगणना :-
Ø भारत की पहली जनगणना 1872 ई. में हुई थी |
Ø संपूर्ण भारत की प्रथम जनगणना 1881ई.में संपन्न
हुई |
Ø भारत में प्रति 10 वर्ष बाद जनगणना की जाती है |
भारत में जनसंख्या का
वितरण:-
Ø भारत की सर्वाधिक जनसंख्या वाले प्रदेश:-
(i)
उत्तर प्रदेश
(ii)
महाराष्ट्र
(iii)
बिहार
(iv)
पश्चिमी बंगाल
(v)
मध्य प्रदेश
(vi)
तमिलनाडु
(vii)
राजस्थान
(viii)
कर्नाटक
(ix)
गुजरात
(x)
आंध्र प्रदेश
Ø जम्मू- कश्मीर ,अरुणाचल प्रदेश
और उत्तराखंड जैसे राज्यों में विशाल भौगोलिक क्षेत्र के बावजूद जनसंख्या अत्यंत
कम है |
Ø उत्तर भारत के मैदान, डेल्टाओं और तटीय मैदानो में जनसंख्या अधिक तथा दक्षिणी और मध्य भारत के राज्यों के आंतरिक जिलों में,हिमालय क्षेत्रों, उत्तरी -पूर्वी एवं पश्चिमी कुछ राज्यों में जनसंख्या कम है |
जनसंख्या का घनत्व:-
प्रति
इकाई क्षेत्रफल पर निवास करने वाले लोगों की संख्या जनसंख्या घनत्व कहलाती है|
(i)
कायिक घनत्व = कुल जनसंख्या / निवल
कृषित क्षेत्र
(ii)
कृषीय घनत्व = कुल कृषि जनसंख्या / निवल कृषित क्षेत्र
Ø भारत का जनसंख्या घनत्व- 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है (2011 ) |
Ø 2051 की जनगणना के अनुसार
भारत का जनसंख्या घनत्व 117 व्यक्ति प्रति वर्ग
किलोमीटर था |
Ø सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व
वाले राज्य:-
(i)बिहार
(1102 ) (ii) पश्चिम बंगाल (1029) (iii) उत्तर प्रदेश (829)
Ø सबसे कम जनसंख्या घनत्व
वाला राज्य अरुणाचल प्रदेश (17) है |
Ø सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व
वाला केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली (11297) है |
Ø सबसे कम जनसंख्या घनत्व
वाला केंद्र शासित प्रदेश अंडमान -निकोबार द्वीप समूह (46) है |
जनसंख्या की वृद्धि:-
दो निश्चित समय अंतरालों के मध्य किसी क्षेत्र विशेष में रहने वाले लोगों की जनसंख्या में वृद्धि जनसंख्या वृद्धि कहलाती है |
जनसंख्या वृद्धि के घटक:-
(i)
प्राकृतिक –जन्म , मृत्यु
(ii)
अभिप्रेरित- प्रवास
Ø भारत की वार्षिक जनसंख्या
वृद्धि दर- 1.64% है|
Ø भारत की दशक की जनसंख्या वृद्धि दर-17.64% है |
भारत की जनसंख्या वृद्धि की प्रवस्थाएं:-
भारत में जनसंख्या वृद्धि की चार स्पष्ट प्रवस्थाएं को पहचान गया है-
1. प्रावस्था “क” (1901-1921) :-
Ø इस प्रावस्था को जनसंख्या
की “वृद्धि की रुध्द अथवा स्थिर
प्रावस्था” कहा जाता है क्योंकि इस अवधि में वृद्धि दर अत्यंत निम्न थी|
Ø ऋणात्मक
वृद्धि का काल- (2011-2021 ई.)
क्योंकि भारत में 2011 से 2021की अवधि के दौरान
भीषण आकाल ,महामारी ,निम्न स्वास्थ्य सेवाएँ ,भोजन की कमी के कारण जन्म दर के साथ
उच्च मृत्यु दर रही |
2. प्रावस्था “ख”( 1921-1951):--
Ø इस प्रावस्था को “स्थिर
वृद्धि की प्रावस्था” के रूप में जाना जाता है|
Ø इस प्रावस्था में जन्म दर उच्च तथा मृत्यु दर
निम्न रही क्योकि इस अवधि में स्वास्थ्य और स्वच्छता साथ ही बेहतर परिवहन और संचार तंत्र से वितरण प्रणाली में सुधार हुआ |
3.
प्रवस्था “ग”( 1951-1981):-
Ø इस अवधि को “जनसंख्या विस्फोट की अवधि” के रूप में जाना जाता है|
Ø इस प्रावस्था में उच्च जन्म दर तथा निम्न मृत्यु दर के साथ बनी रही क्योंकि यही वह अवधि
थी जिसमें केंद्रीकृत नियोजन प्रक्रिया के माध्यम से विकासात्मक कार्यों को आरंभ
किया गया तथा अर्थव्यवस्था सुधरने लगी जिससे अधिकांश लोगों के जीवन की दशाओं में
सुधार हुआ |
Ø इस अवधि में तिब्बतियों,बांग्लादेशियों
, नेपालियों ,पाकिस्तान,आदि को देशों से अंतरराष्ट्रीय प्रवास का प्रवास अधिक हुआ |
Ø इस अवधि में वार्षिक वृद्धि दर 2.2% तक ऊंची रही|
4. प्रावस्था “घ” (1981 के पश्चात का समय ) :-
Ø घटती जन्म दर तथा घटती मृत्यु
दर के कारण धीरे-धीरे मंद गति से जनसंख्या वृद्धि घटने लगी |
Ø विवाह की औसत
आयु वृद्धि तथा स्त्री शिक्षा में सुधार के कारण जन्म दर घटी |
जनसंख्या वृद्धि में
क्षेत्रीय भिन्नताएं:-
Ø केरल ,कर्नाटक, तमिलनाडु,
आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, पुडुचेरी और गोवा राज्य में निम्न जनसंख्या वृद्धि दर (20%
से कम )पाई जाती है|
Ø केरल (9.4%) में पूरे देश में निम्नतम जनसंख्या वृद्धि दर्ज की गई है|
Ø राजस्थान,पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, सिक्किम, असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, में उच्च
वृद्धि दर(20%से 25%) रही है|
Ø 1991- 2001 की तुलना में
2001-2011 दशकीय जनसंख्या वृद्धि में गिरावट सबसे अधिक महाराष्ट्र(6.5 %) तथा सबसे
कम गिरावट आंध्र प्रदेश(3.5%) में रही |
किशोर
Ø किशोर आयु वर्ग – (10 से 19 वर्ष)
किशोर के संबंध में समाज के समक्ष चुनौतियां :-
(i)
विवाह की निम्न आयु |
(ii)
निरक्षरता |
(iii)
विद्यालय छोड़ना (स्कूल ड्रॉप आउट) |
(iv)
भोजन की गुणवता में कमी |
(v)
किशोरी माताओं में उच्च मृत्यु दर |
(vi)
HIV एड्स के संक्रमण, ओषधि दुरुपयोग, मदिरा सेवन, मानसिकता
अंपगता,बाल- अपराध आदि |
राष्ट्रीय युवा नीति (NYP)-2014 :-
(i)
राष्ट्रीय युवा नीति फरवरी 2014 में आरंभ की गई |
(ii)
राष्ट्रीय युवा नीति का उदेश्य – “देश के युवाओं को अपनी
पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिए सक्षम बनाना और उनके द्वारा भारत को राष्ट्रों
के समूह में अपना उचित स्थान प्राप्त करने में सक्षम बनाना” |
(iii)
राष्ट्रीय युवा नीति के अनुसार-
युवा आयु वर्ग –(15
से 29 वर्ष )
कौशल विकास तथा उद्यमिता
नीति-2015 :-
Ø इसका मुख्य उद्देश्य- देश भर में हो रही कौशल से संबंधित गतिविधियों के लिए एक रूपरेखा प्रदान
करना साथ ही साथ सभी गतिविधियों को एक मानक के रूप में बांधना तथा विभिन्न कौशलो को उनके भाग- केंद्रों के
साथ जोड़ना है |
जनसंख्या संघटन
धार्मिक संगठन:-
भारत एक विविध और बहुधार्मिक
देश है, जहां विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार,
भारत में धार्मिक
सामुदायों का वितरण निम्नलिखित है:
1. हिंदू:-79.8%
2. मुस्लिम:- 14.2%
3. ईसाई:- 2.3%
4. सिख:- 1.7%
5. बौद्ध:- 0.7%
6. जैन:- 0.4%
7. अन्य धर्म:- 0.7%
धार्मिक सामुदायों का
भौगोलिक वितरण:-
1. हिंदू:- लगभग सभी राज्यों में वितरित हैं।
2. मुस्लिम:- जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल, केरल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और लक्षद्वीप में
अधिक संख्या में।
3. ईसाई:- गोवा, केरल, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, छोटा नागपुर क्षेत्र और
मणिपुर में अधिक संख्या में।
4. सिख:- पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में
अधिक संख्या में।
5. जैन: -राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में
अधिक संख्या में।
6. बौद्ध:-महाराष्ट्र, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर (लद्दाख),
त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश (लाहौल और स्पीति) में अधिक संख्या में।
श्रमजीवी जनसंख्या का संगठन:-
भारत की श्रमजीवी जनसंख्या का संगठन 2011 की जनगणना के आधार
पर निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया गया है:-
1. मुख्य श्रमिक (Main Workers):-
ऐसे व्यक्ति, जो एक वर्ष में 183 दिन या 6 महीने से अधिक कार्य करते हैं।
यह श्रमिक नियमित रूप से किसी पेशे, व्यवसाय या उद्योग से
जुड़े होते हैं।
2. सीमांत श्रमिक (Marginal Workers):-
ऐसे श्रमिक जो एक वर्ष
में 183 दिनों या 6 महीने से कम कार्य करते हैं।
3. अश्रमिक (Non-workers):-
ऐसे लोग जो किसी प्रकार
का आर्थिक कार्य नहीं करते, उन्हें अश्रमिक कहा जाता
है। यह वर्ग उन लोगों को शामिल करता है जो या तो काम करने में असमर्थ होते हैं या
फिर पढ़ाई, घरेलू कार्यों, रिटायरमेंट आदि में
संलग्न होते हैं।
Ø श्रमिक-अश्रमिक अनुपात :- 39.8% श्रमिक
जनसंख्या और 60% अश्रमिक जनसंख्या के रूप में वर्गीकृत है।
Ø सर्वाधिक श्रम की प्रतिभागीता दर
वाला राज्य- हिमाचल प्रदेश ।
Ø सर्वाधिक श्रम की प्रतिभागीता दर
वाला केंद्र शासित प्रदेश – दमन-द्वीप व दादरा एवं नगर हवेली ।
जेंडर के प्रति
संवेदनशीलता:-
Ø लिंग के आधार पर भेदभाव मानवता के खिलाफ है। इसलिए सभी को समान अवसर प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने नीतियां बनाई हैं।
Ø “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसे कार्यक्रमों का उद्देश्य महिलाओं को समान अवसर प्रदान
करना है, ताकि वे शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में अधिक
भागीदारी कर सकें।
GSSव्यवसायिक वर्गीकरण (2011 की जनगणना के अनुसार):-
भारतीय श्रमजीवी जनसंख्या को
चार प्रमुख स्वर्ग में बांटा है -
1.कृषक- 24.6%
2.कृषि मजदूर-30%
3.घरेलू औद्योगिक श्रमिक-3.8%
4. अन्य श्रमिक-41.6%
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