अध्याय-3 मानव विकास(Human Development)

वृद्धि एवं विकास %&¼Growth and Development½  

वृद्धि

विकास 

(1) वृद्धि मात्रात्मक होती है।

(2) वृद्धि धनात्मक एवं ऋणात्मक दोनो हो सकती है।

(3) वृद्धि का मूल्य निरपेक्ष होता है।

1) विकास गुणात्मक होता है।

(2) विकास हमेशा धनात्मक होता है।

(3) विकास का मूल्य सापेक्ष होता है।

मानव विकास:- 

                मानव विकास से तात्पर्य लोगों के संपूर्ण विकास से है। लोगों के विकल्पों एवं स्वतंत्रता में वृद्धि की प्रक्रिया से है। जिसमें सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक पक्षों को शामिल किया जाता है।

मानव विकास की अवधारणा डॉ महबूब-उल-हक (पाकिस्तान) की देन है।

डॉ महबूब उल-हक ने मानव विकास को विकल्पों में वृद्धि के रूप में देखा।

प्रो. अमर्ल्य सेन (भारत) ने मानव विकास को स्वतंत्रता में वृद्धि  के रूप में देखा।

सार्थक जीवनः- 

सार्थक जीवन का अर्थ दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन से है जिसमें लोग अपनी बुद्धि एवं प्रतियोगिता करे तथा अपने उद्देश्यो की पूर्ति के लिए स्वतंत्र हो।

मानव विकास के चार स्तम्भः-

  1. समता
  2. सतत पोषणीयता
  3. उत्पादकता
  4. सषक्तीकरण

(1) समताः- 

प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध अवसरों तक समान पहुंच की व्यवस्था होनी चाहिए। लोगों को उपलब्ध अवसर लिंग, प्रजाति, आय, जाति के भेदभाव के विचार के बिना समान होना चाहिए।

(2) सतत पोषणीयताः- 

इसका अर्थ अवसरों की सतत उपलब्धता से है। संसाधनों का इस प्रकार उपयोग होना चाहिए जिससे भावी पीढी के लिए संसाधनों की समस्या न हो।

                                                  यह अवधारणा भविष्य की पीढी में अवसरों की निरन्तरता पर बल देती है।

(3) उत्पादकताः- 

उत्पादकता का अर्थ मानव श्रम के संदर्भ में उत्पादकता से है। मानव की क्षमता में वृद्धि करके उत्पादकता में वृद्धि की जानी चाहिए। ज्ञान में वृद्धि तथा बेहतर चिकित्सा सुविधाऐं उपलब्ध कराने से मानव की कार्यक्षमता बढायी जा सकती है।

(4) सश क्तीकरणः- 

सशक्तीकरण का अर्थ है अपने विकल्प चुनने के लिए शक्ति प्रदान  करना। लोगों को सशक्त करने के लिए सुषासन एवं लोकोन्मुखी नीतियों की आवश्यकता होती है।

मानव विकास के तीन मूलभूत क्षेत्र :-

  1. शिक्षा
  2. स्वास्थ्य
  3. संसाधनों तक पहुँच

मानव विकास के चार उपागमः-

  1. आय उपागम
  2. कल्याण उपागम
  3. आधार भूत आवष्यकता उपागम
  4. क्षमता उपागम

(1) आय उपागमः- 

  • मानव विकास के सबसे पुराना उपागमों में से एक
  • इसमें मानव विकास को आस से जोड़ा जाता है।
  • इसके अनुसार आय का स्तर उँचा होने पर मानव अधिक स्वतंत्रता का उपभोग करेगा तथा मानव विकास का स्तर भी उच्चा होगा।

(2) कल्याण उपागमः- 

  • यह उपागम षिक्षा, स्वास्थ, सामाजिक सुरक्षा पर अधिक सरकारी खर्च का तर्क देता है।
  • सरकार कल्याण पर अधिक खर्च करके मानव विकास में वृद्धि के लिए जिम्मेदार है।

(3) आधारभूत आवश्याकता उपागमः- 

  • अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा प्रस्तावित है।
  • इसमें छः न्यूनतम आवश्याकताये  (1) स्वास्थ्य (2) षिक्षा (3) भोजन (4) जलापूर्ति (5) स्वाच्छता (6) आवास की पहचान की गई।

(4) क्षमता उपागमः- 

  • इस उपागम का सम्बन्ध प्रो. अमर्त्य सेन से है।
  • संसाधनों तक पहुँच के क्षेत्र में मानव क्षमताओं का निर्माण बढते मानव विकास की कुंजी है। 

                          मानव विकास सूचकांक(HDI)¼Human Devlopment Index½

               मानव विकास सूचकांक स्वास्थ्य, षिक्षा, संसाधनों तक पहँच जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रदर्शन  के आधार पर देशो  का क्रम तैयार करना है।

                       यह क्रम 0 से 1  तक स्कोर पर आधारित होता है।

1990 से प्रतिवर्ष संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) मानव विकास प्रतिवेदन प्रकाशित करता है।

❖( UNDP½%&United Nations Development Programme  (संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम)

                     मानव विकास सूचकांक के आधार पर देशो  का वर्गीकरणः-

                                                              (2020 की रिपोर्ट)

मानव विकास का स्तर

सूचकांक का स्कोर

देशों की संख्या

fo-fo-

अति उच्च

0.800 से उपर

66

 

 उच्च

0.700 से 0.729 के बीच

53

 

मध्यम

0.550 से 0.699 के बीच

37

 

निम्न

0.549 से कम

33

 

 

कुल

189

 

सर्वोच्च उच्च मूल्य सूचकांक वाले 10 देश निम्न हैः-

  1. नार्वे
  2. आयरलैंड
  3. स्विट्जर लैंड
  4. हांग-कांग
  5. आइस लैंड
  6. जर्मनी
  7. स्वीडन
  8. ऑस्ट्रलिया
  9. नीदरलैंड
  10. डेनमार्क

  •  अति उच्च मानव विकास स्तर वाले देशो में लोगों की शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं को उपलब्ध कराने तथा सुषासन पर अधिक निवेश हुआ है।
  • उच्च मानव विकास वाले देष पूर्व में साम्राज्य शक्तियां रही है। ये युरोप के वे देश  है जो औद्योगिकृत विश्व  का प्रति निधित्व करते हैं।
  •  मध्यम मानव विकास वाले देषों का विकास द्वितीय विश्व  युद्ध के बाद हुआ है। इसमें उपनिवेश  देश  तथा सोवियत संघ के विघटन  से बने देश हैं।
  •  इन्होने लोकोन्मुखी नीतियों को अपनाकर तथा सामाजिक भेदभाव को दूर कर तेजी से मानव विकास स्कोर में सुधार किया है।
  •  इन देशो  में सामाजिक विविधता अधिक होती है। पूर्व में इन देशो  ने राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक विद्रोह का सामना किया।
  •  निम्न मानव विकास स्तर वाले देश  छोटे तथा राजनीतिक उपद्रव, गृहयुद्ध के रूप में सामाजिक अस्थिरता, अकाल अथवा बीमारियों की घटनाओं से गुजर रहे हैं।

भूटान ने सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता (GNH) Gross Nations Happiness  को देश की प्रगति का अधिकारिक माप घोषित किया है।

श्रीलंका, ट्रिनिडाड, टोबैको जैसी छोटी अर्थव्यवस्था वाले देशों का मानव विकास सूचकांक भारत से ऊँचा है।

मानव विकास की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार मानव विकास सूचकांक में भारत को 189 देशों  में  131 वां स्थान प्राप्त हुआ है।





 

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